Cashback ke Naam Pe Chal Raha Game – Offer Ya Psychological Trap?
💸 Cashback के नाम पर Overspending – एक Hidden Trap
क्या आपने कभी सोचा है?
“₹500 का सामान खरीदो, ₹50 cashback मिलेगा!”
ऐसा सुनते ही हम सोचते हैं – वाह! इसमें तो फायदा है।
लेकिन अक्सर हम इसी cashback के चक्कर में ₹100 की ज़रूरत को ₹500 की ख़रीद में बदल देते हैं।
🚨 Cashback का लालच – कैसे हम फँसते हैं?
Cashback एक marketing trick है – जो आपके दिमाग को ये सोचने पर मजबूर करता है कि आप बचा रहे हैं, जबकि असल में आप खर्च ज़्यादा कर रहे होते हैं। और उस कैशबैक से बचा कम पारे होते है।
उदाहरण:
आपको सिर्फ ₹200 की कोई जरूरी चीज़ खरीदनी थी। लेकिन ऐप पर offer था – “₹500 की shopping पर ₹50 cashback!”
अब आप सोचने लगे, “चलो 500 का ही कुछ खरीद लेते हैं, cashback मिल जाएगा।”
Reality: आपने ₹300 extra खर्च किए, सिर्फ ₹50 की cashback के लालच में।
📉 Hidden Psychology – क्यों हम फँसते हैं?
- Loss Aversion Bias: लोग “कुछ खोने” के डर से “ज़्यादा खर्च” कर लेते हैं।
- Free ka Funda: “Free”, “Cashback” जैसे शब्द हमें instantly excited कर देते हैं।
- Instant Gratification: Cashback तुरंत नहीं मिलता, लेकिन खरदने वाले को “खरीदने का मजा” तुरंत मिलता है।
✅ Smart Solution – Cashback को कैसे सही इस्तेमाल करें?
- Need vs. Want: अगर आप वो चीज़ वैसे भी खरीदने वाले थे, तभी cashback का फायदा लें।
- Budget से बाहर ना जाएं: ₹50 cashback के लिए ₹300 extra खर्च करना बेवकूफी है।
- Cashback को Saving माने: Cashback को खर्च के बजाय saving समझें।
- Cashback ट्रैक करें: अक्सर cashback expire हो जाता है या redeem नहीं होता।
“Cashback एक bonus है, आपका खर्च करने का reason नहीं।”
📌 Final Thought
आज के डिजिटल जमाने में cashback और reward points का जाल हर तरफ फैला है। Financially smart वही है जो समझदारी से decision ले, ना कि लालच में आकर, इस बात को दिमाक में रख कर खरीदे की कैशबैक का यूज़ हो भी तो उतना की उस चीज़ की उतनी Qty. की आपको आवश्यकता हो।
Cashback से अमीर कोई नहीं बनता, लेकिन smart spending से financial freedom ज़रूर मिलती है।